वसुंधरा के हर कोने को जगमग आज बनायेंगे , जाति-धर्म का भेद-भूलकर मिलकर दीप जलाएंगे . …………………………………………………………….. पूजन मात्र आराधन से मात विराजें कभी नहीं , होत कृपा जब गृहलक्ष्मी को हम सम्मान दिलायेंगें . ………………………………………………………………….. आतिशबाजी छोड़-छोड़कर बुरी शक्तियां नहीं मरें , करें प्रण अब बुरे भाव को दिल से दूर भगायेंगे . …………………………………………………………………… चौदह बरस के बिछड़े भाई आज के दिन ही गले मिले , गले लगाकर आज अयोध्या भारत देश बनायेंगे . ……………………………………………………………………….. सफल दीवाली तभी हमारी शिक्षित हो हर एक बच्चा , छाप अंगूठे का दिलद्दर घर घर से दूर हटायेंगे . ……………………………………………………………………. जीएसटी ने मारा धक्का मुहं खोले महंगाई खड़ी , स्वार्थ को तजकर मितव्ययिता से इसको धूल चटाएंगे . ……………………………………………………………………………. उल्लू पर बैठी लक्ष्मी से अंधी दौलत हमें मिले , अंधी भक्ति मिटाके अपनी गरुड़ पे माँ को लायेंगे . ………………………………………………………………………… बेरोजगारी निर्धनता ने युवा पीढ़ी भटकाई है , स्वदेशी को सही भाव दे इन्हें इधर ले आयेंगे . ………………………………………………………………. मंगलमय है तभी दीवाली खुशियाँ बिखरें चारों ओर , ”शालिनी”के दीप हजारों काम यही कर जायेंगे . …………………………………………………………………. शालिनी कौशिक [कौशल ]
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