! मेरी अभिव्यक्ति !
- 791 Posts
- 2130 Comments

करते हैं बैठ चर्चा,
खाली ये जब भी होते,
कोई काम इनको करते
मैने कभी न देखा.
……………………………………………
वो उसके साथ आती,
उसके ही साथ जाती,
गर्दन उठा घुमाकर
बस इतना सबने देखा.
……………………………………………
खाते झपट-झपट कर,
औरों के ये निवाले,
अपनी कमाई का इन्हें
टुकड़ा न खाते देखा.
…………………………………………….
बेचारा उसे कहते,
जिसकी ये जेब काटें,
कुछ करने के समय पर
मौके से भागा देखा.
……………………………………………..
ठेका भले का इन पर,
मालिक ये रियाया के,
फिर भी जहन्नुमों में
इनको है बैठे देखा.
………………………………………………..
शालिनी कौशिक
(कौशल)
Read Comments