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..औरत ……..,…. लांछित…….. हैं

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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व्यथित सही ,पीड़ित सही ,पर तुझको लगे ही रहना है ,

जब तक सांसें ये बची रहें ,हर पल मरते ही रहना है .

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पिटना पतिदेव के हाथों से ,तेरी किस्मत का लेखा है ,

इस दुनिया की ये बातें ,माथे धरकर ही रहना है .

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औरत की चाहत का जग में ,कोई मोल नहीं है कभी नहीं ,

तू सुन ले कान खोल अपने ,तुझे नौकर बन ही रहना है .

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जो औरत बढे जरा आगे ,ये लांछित उसको करते हैं ,

तुझको इनकी आज्ञाओं का ,पालन करते ही रहना है .

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पल-पल की सच्चाई कहती ,’शालिनी’ खुलकर के दिल से ,

नारी को जीवन जीने को ,बस दब-दबकर ही रहना है .

शालिनी कौशिक

[कौशल ]

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