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लखनऊ में मोदी का संदेश – आतंक की मदद करने और पनाह देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. और एक बार पहले भी बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की जयंती पर मोदी जी ने कहा था – कि अत्याचार की कोई भी घटना समाज पर कलंक है. सवाल ये है कि क्या ये बातें मात्र सभाओं में वाहवाही बटोरने तक ही सीमित रहेंगी, क्या ये मात्र वोट जुटाने का साधन ही रहेंगी?
सभा में मोदी जी जोर शोर से कहते हैं कि जटायु एक स्त्री के सम्मान के लिए एक आताताई से भिड़ गए……… हम राम नही बन सकते तो हम जटायु तो बन ही सकते हैं जबकि अगर हम मोदी जी के जीवन चरित्र पर गौर करें तो उन्हें एेसा कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है उन्हें केवल अपनी पतिव्रता पत्नी जशोदा बेन को एक पत्नी का सम्मान देना है लेकिन हम सब जानते हैं मंच पर खड़े होकर बोलना आसान है, भीड़ में पैसे बांटकर तालियां बजवाना आसान है, सारी दुनिया को जो पता है कि ये एक मां की सन्तान हैं उस माँ से जन्मदिन पर आकर आशीर्वाद लेने का दिखावा करना आसान है लेकिन दुनिया से छिपा हुआ, अपनी जीवन शैली से विपरीत एक साधारण नारी को स्वीकार करना बेहद कठिन, वो तो कांग्रेस के दिग्विजय सिंह जी ने सबके सामने ये सच ला दिया अन्यथा मोदी जी अटल बिहारी वाजपेयी जी से पूरी बराबरी पर आ जाते. अब तो केवल उस दिन का इंतजार है जब ये अपने भीतर के राम को जागृत कर जशोदा बेन को सीता माता की पदवी दें.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
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