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कहे ये जिंदगी पैहम -न कोशिश ये कभी करना .

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,

बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना.

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नहीं ला सकते हो जब तुम किसी के जीवन में सुख चैन ,

करूँ महरूम फ़रहत से-न कोशिश ये कभी करना .

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चाहत जब किसी की तुम नहीं पूरी हो कर सकते ,

करो सब जो कहूं तुमसे-न कोशिश ये कभी करना .

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किसी के ख्वाबों को परवान नहीं हो तुम चढ़ा सकते ,

हक़ीकत इसको दिखलाऊँ-न कोशिश ये कभी करना .

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ज़िस्म में मुर्दे की जब तुम सांसे ला नहीं सकते ,

बनाऊं लाश जिंदा को-न कोशिश ये कभी करना .

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समझ लो ”शालिनी ”तुम ये कहे ये जिंदगी पैहम ,

तजुर्बें मेरे अपनाएं-न कोशिश ये कभी करना .

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शालिनी कौशिक

[कौशल]

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