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ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से -स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ‏

! मेरी अभिव्यक्ति !
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फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से ,

कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।

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फराखी छाये देश में ,फरेब न पले ,

कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से .

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देने को साँस लेने के ,काबिल वो फिजायें ,

कुर्बानी की राहों पे चले ,मस्त शान से .

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आज़ादी रही माशूका जिन शूरवीरों की ,

साफ़े की जगह बाँध चले कफ़न शान से .

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कुर्बानी दे वतन को जो आज़ाद कर गए ,

शाकिर है शहादत की हर  नस्ल  शान से .

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इस मुल्क का गुरूर है वीरों की शहादत ,

फहरा रही पताका यूँ आज शान से .

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मकरूज़ ये हिन्दोस्तां शहीदों तुम्हारा ,

नवायेगा सदा ही सिर सरदर शान से .

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पैगाम आज दे रही कुर्बानियां इनकी ,

घुसने न देना फिर कभी सियार  शान से .

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करते हैं अदब दिल से अगर हम शहीदों का ,

छोड़ेंगे बखुशी सब मतभेद शान से .

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इस मुल्क की हिफाज़त दुश्मन से कर सकें ,

सलाम मादरे-वतन कहें आप  शान से .

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मुक़द्दस इस मुहीम पर कुर्बान ”शालिनी” ,

ऐसे ही सिर उठाएगा ये मुल्क शान से .

शालिनी कौशिक

[कौशल]

[शब्दार्थ-सरदर-सब मिलकर एक साथ ]

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