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पर्यावरण दिवस -धरती माँ की चेतावनी

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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दुश्मन न बनो अपने ,ये बात जान लो ,

कुदरत को खेल खुद से ,न बर्दाश्त जान लो .



चादर से बाहर अपने ,न पैर पसारो,

बिगड़ी जो इसकी सूरत ,देगी घात जान लो .



निशदिन ये पेड़ काट ,बनाते इमारते ,

सीमा सहन की तोड़ ,रौंदेगी गात जान लो .



शहंशाह बन पा रहे ,जो आज चांदनी ,

करके ख़तम हवस को ,देगी रात जान लो .



जो बोओगे काटोगे वही कहती ”शालिनी ”

कुदरत अगर ये बिगड़ी ,मिले मौत जान लो .



शालिनी कौशिक

[कौशल ]

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