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नारी से भी वही मिलेगा जो तुम दोगे साथ निभाकर .

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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आज करूँ आगाज़ नया ये अपने ज़िक्र को चलो छुपाकर ,
कदर तुम्हारी नारी मन में कितनी है ये तुम्हें बताकर .
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जिम्मेदारी समझे अपनी सहयोगी बन काम करे ,
साथ खड़ी है नारी उसके उससे आगे कदम बढाकर .
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बीच राह में साथ छोड़कर नहीं निभाता है रिश्तों को ,
अपने दम पर खड़ी वो होती ऐसे सारे गम भुलाकर .
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कैद में रखना ,पीड़ित करना ये न केवल तुम जानो ,
जैसे को तैसा दिखलाया है नारी ने हुक्म चलाकर .
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धीर-वीर-गंभीर पुरुष का हर नारी सम्मान करे ,
आदर पाओ इन्हीं गुणों को अपने जीवन में अपनाकर .
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जो बोओगे वो काटोगे इस जीवन का सार यही ,
नारी से भी वही मिलेगा जो तुम दोगे साथ निभाकर .
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जीवन रथ के नर और नारी पहिये हैं दो मान यही ,
”शालिनी”करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .

शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN]

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