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पुष्पों का गुंचा खिलता है.

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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कुदरत का करिश्मा देखो हर बगिया में खिलता है,

प्रतिदिन खुशियाँ देने को पुष्पों का गुंचा खिलता है.

सुबह सुबह जब हम बगिया में टहलने हैं जाते ,

खिले खिले कितने गुलाब हैं हमको हाथ हिलाते,

देख इन्हें हँसते मुस्काते आनंद पूरा मिलता है,

प्रतिदिन खुशियाँ देने को पुष्पों का गुंचा खिलता है.

रात के राजा के फूलों की अज़ब बात है भाई,

रात को श्वेत खिलते हैं सुबह को लालिमा छाई,

इनकी खुशबू से सारा संसार सुगन्धित होता है,

प्रतिदिन खुशियाँ देने को पुष्पों का गुंचा खिलता है.

बगन बलिया की बेल पर लक दक पुष्प हैं छाये,

इन्हें तोड़ने सुबह शाम को भक्तगण हैं आये,

खुशबू न होकर भी इनमे प्रभु चरणों में चढ़ता है,

प्रतिदिन खुशियाँ देने को पुष्पों का गुंचा खिलता है.

सर्दी के मौसम में बगिया गैंदे से भर जाये,

नारंगी रंगों से रंग मेरे घर रौनक छाये,

सुबह शाम खिल खिलाना इनका मन में खुशियाँ भरता है,

प्रतिदिन खुशियाँ देने को पुष्पों का गुंचा खिलता है.


शालिनी कौशिक




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