नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने इस बार शासन सत्ता संभाली किन्तु जहाँ सत्ता है वहां विवाद भी हैं और विवाद आरम्भ हो गए .मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार स्मृति ईरानी को सौंपा जाना इस विवाद का जन्मदाता है .विपक्षी दल कॉंग्रेस के अजय माकन कहते है कि शिक्षा मंत्री ग्रेजुएट तक नहीं है तो भाजपा बिफर पड़ती है और सबसे ज्यादा बिफरती हैं उमा भारती जिन्हें हर बात के लिए सोनिया गांधी को घेरना होता है किन्तु हर बार की तरह इस बार भी वे सोनिया गांधी से मात खायेंगी क्योंकि सोनिया गांधी ऐसे विवादास्पद और कुतुर्क करने वाले मुद्दों को कभी भी तरजीह नहीं देती और ‘एक चुप सौ को हरावे ” की नीति पर ही चलती हैं किन्तु उमा भारती को तो ये जानना ही होगा भले ही सोनिया जवाब दें या न दें कि वे यूपीए की चेयरपर्सन रही हैं न कि केंद्र सरकार के किसी विभाग की मंत्री और आज तक इस तरह के गठबंधनों के लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं की गयी है यदि की जाती तब की बात अलग होती और तब शायद एक बार फिर उमा भारती को गंजे होने की धमकी देकर सोनिया गांधी को रोकना होता और सोनिया जी द्वारा उनके बालों को बचाने के लिए ये पद भी छोड़ने का एक बहाना मिल जाता प्रधानमंत्री पद को छोड़ने की तरह ..
आज सभी जानते हैं कि एक स्कूल का प्रबंधक तो अनपढ़ भी हो सकता है किन्तु स्कूल में पढ़ाने वाले के लिए अच्छी शिक्षा या यूँ कहें कि उच्च शिक्षा ग्रहण करना ज़रूरी है और ऐसे में स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद दिया जाना विवाद तो पैदा करेगा ही साथ ही उनकी धोखाधड़ी की नियत भी .२००९ के चुनाव में वे स्वयं को शपथ लेकर बी.ए.बताती हैं और २०१४ में शपथ लेकर बी.कॉम.हालाँकि यहाँ मुद्दा केवल ये है कि वे उच्च शिक्षित नहीं हैं और उन्हें शिक्षा मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद देना भाजपा की मजबूरी क्यूँ बन गयी ?जबकि हमारे देश में आज उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त माहौल है और भाजपा में मुरली मनोहर जोशी जी जैसे काबिल व् हर पद के योग्य नेता बगैर पोर्टफोलियो के मौजूद हैं तब स्मृति ईरानी जैसे कम शिक्षित को शिक्षा मंत्री क्यूँ बनाया गया ?अगर उन्हें कोई और विभाग दिया जाता तो संभव था कि कोई विवाद न होता किन्तु शिक्षा विभाग में मंत्री ही कम शिक्षित -यह तो विवाद का विषय सारी जनता में है इसके लिए सोनिया गांधी की शिक्षा पर ही क्यूँ सवाल उठाती हैं उमा भारती ?सारी जनता की ही शिक्षा को विवादों के घेरे में क्यूँ नहीं ले आती हैं उमा भारती ?
यूँ बात बात में सोनिया गांधी जी को घसीटकर वे अपने गलत कार्यों को और कुतर्कों को सही साबित नहीं कर सकते क्योंकि राहुल सोनिया का विरोध व् अपमान उन्हें सत्ता दिला सकता है ,स्मृति को मंत्री पद दिला सकता है किन्तु जनता के मन में उठते सवाल को नहीं दबा सकता ,योग्यता को नकारकर अयोग्यता को सिर पर चढाने की इज़ाज़त नहीं दे सकता .ये तो उन्हें समझना ही होगा कि पराये घर को गन्दा कहने से अपना घर साफ नहीं हो जाता बल्कि उसके लिए अपना घर ही साफ़ करना पड़ता है .और रही बात मंत्रालय सँभालने के लिए शैक्षिक योग्यता ज़रूरी है या नेतृत्व क्षमता तो उसका एक मात्र उत्तर ये है कि इसके लिए विभाग देखना होगा कि वह किससे सम्बंधित है अब हॉकी थमने वाले हाथ में तोप तो नहीं थमाई जा सकती अर्थात खिलाडी को रक्षा मंत्री जैसी जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती ऐसे ही अनपढ़ को पढ़ाने का काम नहीं सौंपा जा सकता . अब यहाँ तो स्मृति ईरानी की कम शिक्षा की बात को दबाने के लिए सोनिया गांधी की शिक्षा की बात उठाना तो क़तील ‘शिफ़ाई ‘के शब्दों में उमा भारती के मन की व्यथा को कुछ यूँ व्यक्त कर रहा है –
”यूँ तसल्ली दे रहा हूँ मैं दिल-बीमार को ,
जिस तरह थामे कोई गिरती दीवार को .”
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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