Menu
blogid : 12172 postid : 734722

उल्लू बनाना और बाँटना बंद करें मोदी जी

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

interview-200414-attach2
”हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए ,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए .”
कविवर दुष्यंत की ये पंक्तियाँ मस्तिष्क पटल पर उभर आई जब नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि जिस दिन से भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया मेरा दिमाग यही सोचने में लगा रहा है कि महिलाओं को सुरक्षा कैसे मिले ,नौजवानों को रोजगार कैसे मिले ….आदि और विपक्षियों को यही सोचना पड़ रहा है कि मोदी को कैसे रोका जाये …”और विपक्षी ऐसा क्यूँ न सोचें मोदी इसका कोई सार्थक कारण तो बता दें क्योंकि आज उन्हें न रोकने का खामियाजा कल भारत की जनता को बिलकुल वैसे ही भुगतना होगा जैसे गुजरात को इन्हें मुख्यमंत्री  बनाकर ३ महीने के अंदर ही गोधरा के रूप में भुगतना पड़ा .विपक्ष की नाकामी पर जनता तो विपक्ष से यही कहेगी –

”किसी परिंदे के मासूम पर जला डाले ,
थे जिनमे प्यार के नगमे वह स्वर जला डाले ,
हमें चिराग जलाने थे अपनी बस्ती में
किसके इशारे पर ये घर जला डाले .”
महिलाओं की सुरक्षा की चिंता करने वाले अपनी पत्नी तक को ज़िंदगी की दो खुशियां तक नहीं दे पाये और उलटे उनकी तपस्या का श्रेय भी खुद लेने चल दिए .आज बाध्य होने पर पत्नी का नाम लिखा जबकि कल तक विवाहित होने को ही नकारते रहे. कोई बताये कि क्या विवाहित स्थिति को स्वीकारने से भी कोई देश सेवा में बाधा आ रही थी ? महिला की जासूसी कराते हैं और खुद पर ये इलज़ाम आने पर दूसरों को इस पर सियासत करने से दूर रहने की सलाह देते हैं जबकि अगर एक माँ अपने बेटे के लिए उसके क्षेत्र में यह कहती है कि मैंने बेटा दिया ख्याल रखना तो उसकी हंसी उड़ाने में ही अपना बड़प्पन मानते हैं .
गुजरात दंगों के आरोपी ,दंगों में मारे गए लोगों के घर तक जाने से परहेज़ रख उनके प्रति सहानुभूति तक नहीं रखते और ये सब तो पुरानी बातें हैं पर उनमे रत्तीभर भी परिवर्तन नहीं है क्योंकि मुज़फ्फरनगर दंगों के सम्बन्ध में वे कोई भी वक्तव्य देने से बचते रहे और अब जब इनके आदमी अमित शाह यहाँ आकर फिर से दबी चिंगारी सुलगाने लगे तो ये उन्हें नहीं देखते न ही रोकते ,महिलाओं के सम्मान की बात करने वाले ये महोदय किसी और को क्या रोकेंगे जब खुद ही विश्व की सम्मानित व् शक्तिशाली महिलाओं में सर्वोच्च पद पर आसीन सोनिया गांधी जी के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं ,उनकी बीमारी तक की हंसी उड़ाते हैं इनकी ही पार्टी के हीरा लाल रेगर सोनिया जी के बारे में अभद्रता की हदें पार कर देते हैं किन्तु इन महोदय के मुख से एक माफ़ी कला शब्द तक नहीं निकलता ये तो सोनिया जी के बारे में इनके विचार हैं इनके कदम हैं जो कि इन्हें अगर अपनी शक्ति दिखा दें तो ये बगलें झांकते और कहीं मुंह छिपाते नज़र आएंगे फिर एक समान्य नारी के विषय में तो इनके विचार ,कदम जानने की ज़रुरत ही नहीं क्योंकि उसका या तो हश्र जशोदा बेन जैसा होगा या फिर उस जैसा जिसे कभी पुत्री कहते हैं कभी उसकी जासूसी कराते हैं .
इनकी पार्टी के गिरिराज सिंह इनकी चरण वंदना को बाध्य करने की कोशिश करते हैं और ये इस सम्बन्ध में पूर्ववत मूक-बधिर बने रहते हैं और बाते करते हैं देश बनाने की ,अच्छे दिन लाने की .देश नहीं झुकने दूंगा की बात कहने वाले आज स्वयं को उसी दुनिया की तरह साबित कर रहे हैं जो कि बस उल्लू बनाना और बाँटना ही जानती है –
”फूल को खार बनाने पे तुली है दुनिया ,
सबको बीमार बनाने पे तुली है दुनिया ,
मैं महकती हुई मिटटी हूँ किसी आँगन की
मुझको दीवार बने पे तुली है दुनिया ,
हमने लोहे को ले पिघलाके खिलौने ढाले ,
उनको हथियार बनाने पे तुली है दुनिया .”

शालिनी कौशिक
[कौशल ]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply