Menu
blogid : 12172 postid : 723653

महबूबा यहाँ सबकी बस कुर्सी सियासत की ,

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

फुरसत में तुम्हारा ही दीदार करते हैं ,

खुद से भी ज्यादा तुमको हम प्यार करते हैं।

…………………………..

अपनों से ज़ुदा होने की फ़िक्र है नहीं ,

तुम पर ही जान अपनी निसार करते हैं।

………………………………..

झुकती हमारी गर्दन तेरे ही दर पे आकर ,

हम तेरे आगे सिज़दा बार -बार करते हैं।

…………………………..

ये ज़िंदगी है कितनी हमको खबर नहीं है ,

पलकें बिछाके फिर भी इंतज़ार करते हैं।

…………………………………………

बालों में है सफेदी ,न मुंह में दाँत कोई ,

खुद को तेरी कशिश में तैयार करते हैं।

……………………………………….

महबूबा यहाँ सबकी बस कुर्सी सियासत की ,

पाने को धक्का -मुक्की और वार करते हैं।

……………………………………….

”शालिनी ”देखती है देखे अवाम सारी ,

बहरूपिये बन -ठन कर इज़हार करते हैं।

…………………………………

शालिनी कौशिक

[कौशल ]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply