! मेरी अभिव्यक्ति !
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राजनीति की भांग से भाजपाई मदहोश ,
मोदी चाय पीने को खो रहे अपने होश .
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अटल पड़े एकांत में मांगें सबकी खैर ,
शुकर करें भगवान् का बने जो अबके गैर .
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लाल कृष्ण की आँख से नित्य बहता नीर ,
मोदी लहर के अंधों को दिखे न उनकी पीर .
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जोशी सुरीली बांसुरी हो गयी अब बेसुर ,
आर.एस.एस.ने छीन ली वो आवाज़ मधुर .
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टंडन बिलखत फिर रहे बातें करें उखड ,
अध्यक्ष जी ने आगे बढ़ काटी उनकी जड़ .
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जेटली ए.सी.कमरे से खुली धूप में आये ,
शायद मोदी डोर से लोकसभा मिल जाये .
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अपनी लहर है बह रही पर मोदी घबराये ,
काशी सुकून होगी दल की उन्हें तो घर ही भाये .
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शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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