! मेरी अभिव्यक्ति !
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प्रतीक्षा
धैर्य
विश्वास
मंज़िल मिलेगी अवश्य !
भगवान
के कर्म
मनुष्य की भलाई
हर काम
हर बात
का समय निश्चित
फिर कर्म की
पुण्य की
क्या महत्ता ?
जीवन की
दशा
दिशा
भाग्य पर निर्भर,
भाग्य
प्रारब्ध का फल !
इस जन्म के कर्म
अगले जन्म का
भाग्य !
मोक्ष
उस आत्मा को
जो
पाप-पुण्य से परे !
मोक्ष की आकांक्षा
की
गयी
आत्मा फिर
घिरी
पाप-पुण्य के जाल में ,
फिर
चाहत से
कुछ नहीं
अनचाहा मन
रहे नहीं ,
रहे मात्र
प्रतीक्षा
धैर्य
विश्वास
मंज़िल मिलेगी अवश्य .
……………………..
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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