आजकल लोकसभा चुनाव २०१४ की तैयारियां ज़ोरों पर हैं .सभी दल अपनी अपनी तरह से चुनावों का प्रचार कर रहे हैं और सभी दलों को ऐसा अधिकार भी है किन्तु एक दल को यह अधिकार न तो हमारा मीडिया देना चाहता है और न ही विपक्षी दल .इसीलिए जैसे ही कॉंग्रेस ने अपना चुनाव प्रचार आरम्भ किया तो विपक्षी दलों व् मीडिया दोनों को ही आग सी लग गयी और दोनों ही जुट गए कॉंग्रेस के प्रचार में लगी प्रचारक पर प्रहार करने . दूरदर्शन पर जिस दिन से हसीबा अमीन ने कॉंग्रेस से २०१४ के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद के सम्भावित उम्मीदवार राहुल गांधी जी के पक्ष में प्रचार आरम्भ किया तभी विभिन्न वेबसाइट हसीबा अमीन को राहुल गांधी से ठीक वैसे ही जोड़ने लगी जैसे आम भारतीय समाज में यदि कोई कामकाजी महिला किसी पुरुष सहकर्मी से बात कर लेती है तो फ़ौरन उसके साथ उसकी प्रेम कहानियां बतायी जाने लगती हैं यही नहीं कॉंग्रेस में इस नए चेहरे को इन वेबसाइट ने इतना महत्व दिया कि उसे ३०० करोड़ के घोटाले जैसे झूठ में भी फंसाने की साजिशें आरम्भ हो गयी जबकि हसीबा एकमात्र वह शख्सियत हैं जो इस स्वतंत्र भारत में अपने पसंद के दल से जुड़ते हैं और उसके लिए अपनी सेवाएं देते हैं . देखा जाये तो हसीबा अमीन कॉंग्रेस के वोट बैंक में विपक्षियों की नज़र में इज़ाफ़ा कर रही थी और इसी का खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ गया .जिस कॉंग्रेस से अलका लाम्बा जैसी कार्यकर्ता मात्र इसलिए अलग हो जाती हैं कि वे तीन साल से राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रही थी और उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया जबकि वे कॉंग्रेस के मुख्य कार्यक्षेत्र दिल्ली में ही थी उसी कॉंग्रेस में हसीबा जैसी छोटी कार्यकर्ता को न केवल राहुल गांधी से व्यक्तिगत रूप से जोड़कर बदनाम करने की साजिश की गयी बल्कि ३०० करोड़ के घोटाले जैसी अफवाहें भी फैलायी गयी मतलब तो ये हुआ कि कॉंग्रेस को इस कदर बदनाम करने की साजिश कि इसका छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी भ्रष्टाचारी है ,यही बात सारे में प्रचारित करने की साजिश की गयी और कॉंग्रेस ने इसका विरोध करने की बजाय हसीबा का प्रचार ही वापस ले लिया ,ये गलत है . हसीबा का प्रचार विज्ञापन हटाकर कॉंग्रेस कि अगर यह सोच है कि वह इस तरह अपने विरोधियों की गलत बातों पर अंकुश लगा देगी ,मात्र वहम है क्योंकि इस कार्यवाही का मात्र यही प्रचार किया जा रहा है कि हसीबा गलत है इसलिए उसका प्रचार हटा लिया गया .अपने प्रचारकों के नाम और सम्मान का ध्यान रखना भी एक दल का ही कर्त्तव्य है और यदि उसे अपने साथ इस तरह से कार्यकर्ताओं का जोश चाहिए तो उसे उनके साथ खड़ा होना होगा .आज मुनीश यादव ,शब्बीर अहमद , श्रवण गिरी उसे अन्य प्रचारक मिल गए हैं किन्तु इस अभियान की शुरुआत करने वाली हसीबा के बिना यह अभियान अधूरा है और विपक्षी खेमे के इरादों को मिटटी में मिलाने के लिए और अपने युवा जोश को कायम रखने के लिए हसीबा की ज़रुरत है इसलिए हसीबा को सामने लाओ -हर हाथ हसीबा के साथ है .
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