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कविता-हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी.-[contest]

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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दुःख सहने की जीवन में अब कर ली है तैयारी
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी. ………………………………
ऐसे कर्म किये जीवन में दुःख ही दुःख अब सहना है,
मन ही मन घुटते रहना है किसी से कुछ न कहना है.
सबकी आती है अपनी भी आ गयी अब तो बारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी. …………………………
भला किसी का किया नहीं सोच में भी न लाये,
इसीलिए अब दिन हमारे सब ऐसे कटते जाएँ.
किसी से हट जाये भले दुःख अपना रहेगा जारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी. ………………………..
मिलना जुलना बंद किया है जीवन अपना कोसेंगे,
अब तक नादानी भोगी है अब बेचैनी भोगेंगे.
जीती हो भले ही सबसे दुःख से ”शालिनी”हारी,
हमें खबर है ख़ुशी के घर है पूरी पहरेदारी. ………………………………
शालिनी कौशिक

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