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अपनी करनी पार उतरनी -लघु कथा [contest ]

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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‘नीरू ‘सुनती हो मनोज जी ने अपने बेटे को मुकदमा जीतने के बाद घर से निकाल दिया ,सच्ची क्या ऐसा हुआ है ,दिनेश जी की बात सुन नीरू के मुंह से निकला ,पर वे बाप हैं उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था आखिर अब कहाँ जायेगा नरेन् ,अपने परिवार को लेकर ,क्या कह रही हो नीरू ,”तब तो तुमने कुछ नहीं कहा था जब नरेन् ने मनोज जी को उनका बेटा होते हुए घर से निकाल दिया था ,वे भी तो पहले ठोकरे खाते फिरे थे और काफी दुःख सहने के बाद आखिर दिल पर पत्थर रख अदालत की शरण में गए थे .”नीरू को उसके पुराने व्यवहार की याद दिलाते हुए दिनेश जी ने कहा ,सही कह रहे हो जी ,”अपनी करनी पार उतरनी ”,नरेन् अपने ही किये अनुसार फल पा गया है अब ,नीरू ने गहरी साँस लेते हुए कहा .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

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