- 791 Posts
- 2130 Comments
तब्दीली का जहाँ में अब दौर आ गया है ,
कुदरत के ख़त्म होने का दौर आ गया है .
………………………………………………….
पहले भिखारी फिरते घर घर कटोरा लेकर ,
दाता ही थैला लेके उसके ठौर आ गया है .
………………………………………………………
प्यासा भटकता था कभी कुएं की खोज में ,
अब कुआं उसके दर पे ले चौंर आ गया है .
………………………………………………………
तप करते थे वनों में पाने को प्रभु भक्ति ,
खुद रब को अनासक्तों का गौर आ गया है .
………………………………………………………………..
भगवन ये पूछते थे क्या मांगते हो बेटा,
बेटे के बिना मांगे मुंह में कौर आ गया है .
…………………………………………………………………
दुनिया में तबाही का यूँ आ रहा है मंज़र ,
पतझड़ के समय पेड़ों पर बौर आ गया है .
…………………………………………………………..
ऊँगली उठाना आसाँ मुश्किल है काम करना ,
”शालिनी ”की समझ में ये तौर आ गया है .
…….
शब्दार्थ-ठौर-ठिकाना ,चौंर-चंवर ,कौर-निवाला .
…..
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
Read Comments