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पुरुष दंभ का मानवीय रूप

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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पुरुष
दंभ का मानवीय रूप
टूट जायेगा
पर
झुकेगा नहीं !
दंभ
या तो फूलेगा
गैस के गुब्बारे की तरह
नहीं तो
डूब जायेगा
ऐसे अंधकार में
जहाँ साया
अपना साया
भी
साथ छोड़ खिसक जाता है
दूर कहीं अनंत पथ पर .
ऐसे ही पुरुष
गैस के गुब्बारे की तरह फूलता है
और बिना सोचे विचारे
स्वयं को मान सर्वशक्तिमान
बढ़ता रहता है
उड़ता रहता है
नहीं लगता उसे
संसार में कोई अपने
समकक्ष
किन्तु एक समय आता है
जब वह
स्वयं को अकेला पाता है
किन्तु झुकना नहीं
सीखा कभी
इसलिए
असहाय महसूस
करने पर भी
वह किसी से कुछ
नहीं कहता
और
कर लेता है
स्वयं को ऐसे
अंधकार के आधीन
जहाँ साया
अपना साया
भी
साथ छोड़ खिसक जाता है
दूर कहीं अनंत पथ पर .
शालिनी कौशिक
[WOMAN ABOUT MAN]

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