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आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी
सर सैय्यद अहमद खां ने कहा था –
”हिन्दू और मुसलमान भारत की दो आँख हैं .”
ये कथन मात्र कोई कथन नहीं सच्चाई से ओत -प्रोत एक भाव है .देश ने १ ९ ४ ७ में स्वतंत्रता प्राप्त की किन्तु उसके बाद से हिन्दू मुस्लिम का भारत पाक बटवारें के कारण हुए विचारधारा में परिवर्तन ने और इसी कारण धीरे धीरे बढ़ते वैमनस्य ने आग में घी का काम किया ६ दिसम्बर १ ९ ९ २ को बाबरी मस्जिद विध्वंस ने .दोनों आँखें जब एक साथ काम करती हैं तभी मनुष्य सही काम करता है यदि दोनों आँखें विपरीत दिशा में काम करने लग जाएँ तो काम चौपट हो जाता है जैसा हमारे भारत वर्ष का फ़िलहाल हुआ है.हिन्दू मुस्लिम एकता ,जिसकी हमारे देश में मिसाल दी जाती थी ”बाँटो और राज करो ”की नीति ने तोड़ दी और रही सही कसर भारतीय जनता पार्टी के कथित हिन्दू प्रेम और समाजवादी पार्टी की मुस्लिमों पर कुर्बान होने की नीति ने खात्मे की और ही बढ़ा दी यह विनाश करने वाली गाड़ी अपनी तेज़ गति से निरंतर बढती ही जा रही थी कि एकाएक हमारे इन पार्टी के बुद्धिजीवी व् देशभक्त नेताओं में देश भक्ति जागी और ये देश को फिर से प्रेम-पथ पर लाने के लिए अपने उत्तरदायित्व निभाने के लिए तैयार हो गए .और अब यह गाड़ी अर्थात हिन्दू मुस्लिम प्रेम की गाड़ी फिर से प्रेम पथ पर चलने को तैयार है .
भाजपा को मुसलमानों के प्रति अपना नजरिया बदलने का सुझाव दे मुलायम सिंह जी पहले ही भाजपा की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा चुके थे और अब चित्रकूट में भाजपा के विचार मंथन में भी यह निष्कर्ष निकला कि भाजपा राज के लिए अल्पसंख्यको को माइनस नहीं किया जा सकता ऐसे में उन्हें भी भाजपा को साथ लेकर चलना चाहिए .साफ है कि अब हिन्दू मुस्लिम वर्गों का नेतृत्व करने वाली ये पार्टियाँ ही जब एकता की ओर बढ़ रही हैं तो ये वर्ग भी तो एक ही होंगे और फिर राम मंदिर भाजपा का संकल्प है जो कि तभी पूर्ण हो सकता है जब केंद्र व् यू.पी. सरकार में समन्वय हो और इस तरह मुसलमानों को साथ लेकर जब भाजपा इस राह पर आगे बढ़ेगी तो मुलायम सिंह जी का स्वाभाविक रूप से साथ मिलेगा और यू.पी. में सपा की सरकार है इसलिए यह साथ ज़रूरी भी है .
फिर एक बात तो सभी जानते हैं कि जब कोई खुद से प्रेम करता है तभी वह किसी और से प्रेम कर सकता है ,जब कोई खुद की परवाह करता है तभी वह दूसरों की परवाह कर सकता है ऐसे में धर्मपरायण हमारे इस देश में भाजपा व् सपा जो कि अपने देश के धर्मों से प्रेम करती हैं उनसे ही सार्थक व् कुशल प्रशासन की उम्मीद की जा सकती है न कि कॉंग्रेस से जिसे कि धर्मनिरपेक्षता का रोग है ,जब उसे देश के धर्मों से ही प्यार नहीं तो देश की जनता से क्या प्यार होगा जो कि बहुत बड़ी संख्या में अपने धर्म पर कुर्बान होने को तैयार बैठी है .ऐसे में हम भी अब उस परिंदे के समान हो सकेंगे जो कि कभी भी कहीं पर बैठ सकते हैं और अपने देश में उसी तरह के धार्मिक सद्भाव की महक महसूस कर सकेंगे जिस तरह की हमारे बड़े महसूस करते थे बिलकुल इसी शेर की तरह-
”मैंने काबे से कहा कि इस घर का मालिक कौन है ,
उसने धीरे से पूछा कि कौन इस घर का नहीं .”
और इसलिए अब समय आ गया है कि हम उन्ही मोदी जी को ,जो हाल -फ़िलहाल में ही गुजरात में हिन्दू मुस्लिम समुदायों का बड़ा विश्वास और प्रेम जीतकर केंद्र की ओर हम गुलामी की ओर बढ़ रहे भारतवासियों को स्वतंत्रता की खुली हवा में साँस दिलाने के लिए केंद्र की ओर बढ़ रहे हैं हाँ वही मोदी जी जिनका अभी 1st अप्रैल के समाचार पत्रों के अनुसार टीम राजनाथ में दबदबा दिखाई दिया है उन्ही राजनाथ जी ने उन्हें ६ वर्षों बाद अपनी टीम में शामिल किया है और गले लगाया है जिन्होंने ६ साल पहले यह कहते हुए ” कि अन्य मुख्यमंत्री भी भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य नहीं हैं”संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया था और दिलचस्प तथ्य यह है कि मोदी अब भी मुख्यमंत्री ही हैं .,को वोट देने की ठानकर प्रधानमंत्री पद की शोभा और गरिमा में चार चाँद लगा सकते हैं और कह सकते हैं-
”तेरा जलवा ओजन हम भी देखेंगे ,
पड़ेंगे जब आपकी जुल्फों में ख़म हम भी देखेंगे ,
चलाके तीर नज़रों से मेरे दिलबर ने ये कहा ,
लगायेंगे जब ज़ख्मों पे मरहम हम भी देखेंगे .”
शालिनी कौशिक
[कौशल]
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