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क्या हैदराबाद आतंकी हमला भारत की पक्षपात भरी नीति का परिणाम है ?नहीं ये ईर्ष्या की कार्यवाही .-jagran junction forum

! मेरी अभिव्यक्ति !
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Probe into Hyderabad terror attacks picks up momentum (© AFP)

21 फरवरी 2013 हैदराबाद में आतंकी हमले ने न केवल दहलाया बल्कि पोल खोलकर रख दी हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था की जिसमे ये कहा जाता है कि ”यह संघात्मक व् एकात्मक का सम्मिश्रण है ”अर्थात सामान्यतया इसका रूप संघात्मक बना रहता है किन्तु संकटकाल में राष्ट्रीय एकता व् सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐसे उपबंधों का समावेश किया गया है जो संघात्मक ढांचे को एकात्मक ढांचे में परिणित कर देते हैं .”
केंद्र व् राज्य दोनों ही इन हमलों की ख़ुफ़िया सूचना के प्रति बरती गयी लापरवाही की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे हैं .एक ओर जहाँ केंद्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी यह कह रही है कि हैदराबाद समेत चार शहरों को आतंकी हमले की आशंका को लेकर खास एलर्ट भेजा गया था वहीँ आंध्र के सी.एम्.किरण रेड्डी का कहना है कि एलर्ट में आतंकी हमले के बारे में कोई सूचना नहीं थी वह सामान्य एलर्ट था रेड्डी ने कहा कि इस तरह के एलर्ट केंद्र से मिलते रहते हैं ..अब दोनों तरफ के वक्तव्य कितने सही तथ्य पर आधारित हैं ये तो वे ही जाने किन्तु जब दोनों जगह एक ही दल की सरकार हो तब ऐसे मामलों में लापरवाही की उम्मीद बेमानी है किन्तु यहाँ लापरवाही भी हुई है और संविधान के एकात्मक गुण की अनदेखी भी क्योंकि न तो यहाँ सरकरों में कोई सामंजस्य है न राज्य की सुरक्षा के पार्टी जागरूकता का कोई भाव .मतलब सब भगवान भरोसे .
आतंकवाद की ये मार भारत पर कोई पहली बार नहीं पड़ी है .भारत इस मार को लगभग दो -ढाई दशक से झेल रहा है .”जिहाद”के नाम पर जो आतंकी खेल यहाँ पडोसी मुल्क पाकिस्तान के सहयोग से खेला जाता है  उसका कारण हमेशा से खुला है -”कश्मीर का भारत में मिलन ” जो कभी न कश्मीर को रास आया न कभी पाकिस्तान को .पाकिस्तान से बचने की जद्दोजहद में कश्मीर ने सम्मिलन पत्र पर हस्ताक्षर तो कर दिए किन्तु यहाँ के युवा में आजादी की चिगारी सुलगती रही वहीँ पाकिस्तान में प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर इस क्षेत्र को खुद में मिलाने  की .भारत में विशेष दर्जा प्राप्त कश्मीर राज्य आज भारत के लिए आतंक का गढ़ बन चुका है साथ ही सीमापार से प्राप्त सहयोग ने भी उसके हौसले बुलंद कर रखे हैं .अजमल कसाब व् अफजल गुरु कश्मीर-पाकिस्तान के दो ऐसे युवा जिन्होंने भारत में मुंबई आतंकी हमला-संसद पर आतंकी हमले जैसी वारदात को अंजाम दिया और बदले में सजा पाई वाही जिसके वे हक़दार थे और उनकी फाँसी के कारण ही एक आशंका ये सिर उठा रही है कि यह बदले की कार्यवाही है जो भारत की पक्षपात भरी नीति का परिणाम है .इस बात पर विचार किया जा सकता था किन्तु जिस संगठन ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है उसने इस आशंका को निर्मूल साबित कर दिया है .
२५ फरवरी २०१३ को समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार ”आन्ध्र प्रदेश भाजपा प्रमुख जी.किरण रेड्डी ने यह कहकर सरगर्मी पैदा की कि उन्हें पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का पत्र मिला है जिसमे उसने इन विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है .”
अब लश्कर-ए-तैय्यबा की आतंवादी गतिविधियों का क्या इतिहास है और क्या कारण वे सभी जानते हैं –
लश्कर-ए-तैयबा
http://hi.wikipedia.org/s/13ir
मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
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लश्कर-ए-तैयबा (उर्दू: لشكرِ طيبه लश्कर-ए-तोएबा, अर्थात शुद्धों की सेना) दक्षिण एशिया के सबसे बडे़ इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है। हाफिज़ मुहम्मद सईद ने इसकी स्थापना अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में की थी।[1] वर्तमान में यह पाकिस्तान के लाहौर से अपनी गतिविधियाँ चलाता है, एवं पाक अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है।[2] इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं, और अपने आरंभिक दिनों में इसका उद्येश्य अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था । अब इसका प्रधान ध्येय कश्मीर से भारत का शासन हटाना है। [3]
इसके अनुसार कश्मीर से भारत का शासन हटाना इस आतंकी संगठन का ध्येय है और इसी को लेकर यह अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है .पाकिस्तान व् कश्मीर दोनों की ही अवाम में भारत व् हिन्दू विरोध गहराई तक जड़ जमाये है और पाकिस्तानी सेना की कट्टरपंथियों से सांठ-गांठ दोनों तरफ की अवाम में हिन्दू विरोधी मानसिकता को ही प्रोत्साहित करती है .ये धारणा इनमे प्रबल है कि भारत हिन्दू राष्ट्र है और यहाँ हिन्दुओं को ही संरक्षण व् प्रमुखता प्राप्त है .रही सही कसर अकबरुद्दीन ओवेसी जैसे कट्टरपंथी नेता पूरी कर देते हैं .वे अपने भड़काऊ भाषणों से देश में अराजकता फ़ैलाने का काम करते हैं और जिस जनता को जिहाद के नाम पर मीलों दूर स्थित प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता हो ,उसके साथ घोर अमानवीय बर्ताव किया जाता हो ताकि उनमे अपने अस्तित्व के प्रति घृणा का भाव पैदा हो ,इस्लाम के लिए मर मिटने पर जन्नत व् हूरों का पाठ पढाया जाता हो ,पश्चिमी देशों व् भारत में मुसलमानों पर कथित उत्पीडन की फर्जी सी.डी. दिखाई जाती हों  और वह भी केवल इसलिए कि इनमे भारत व् हिन्दुओं के प्रति नफरत पनपे ,वहां केवल यही धारणा बलवती होती है कि ये आतंकी कार्यवाही इनके खून में घोल दी गयी है .बदला तो तब होता जब किसी के साथ किसी गलत व्यवहार की पूर्व में कार्यवाही की गयी हो यहाँ तो नीव में ही बारूद भर दिया गया है यहाँ ऐसी आशंका का कोई मतलब ही नहीं है क्योंकि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी भी पूर्व में कह चुके हैं कि भारत आतंक का व्यापार नहीं करता ..
ऐसे में इस कार्यवाही को भारत की किसी भी नीति के विरोध की पलट कार्यवाही नहीं कहा जा सकता .इसे केवल भारत के अस्तित्व जो सदियों से अनेकों झंझावातों को झेलते हुए भी अक्षुण  है उसके लिए ईर्ष्या की कार्यवाही ही कहा जा सकता है जो अब भी डॉ.विजेन्द्र पाल शर्मा  जी के शब्दों में यही कह दूर से मुस्कुरा रही है –   ”भले सूर्य आकर धरती पर अंगारे बरसा दे रे ,
तूफानों के पाले हैं हम आओ चलो बता दें रे .”
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

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