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तो प्रस्तुत है शिखा कौशिक जी की प्रस्तुति : नादानों मैं हूँ ‘ भगत सिंह ‘ दिल में रख लेना याद मेरी ,

! मेरी अभिव्यक्ति !
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भारत और पाकिस्तान कभी एक थे और एक आम हिन्दुस्तानी के दिल में आज भी वे एक ही स्थान रखते हैं किन्तु सियासी गलियां और बुद्धिजीवी समाज के क्या कहने वह जब देखो इन्हें बाँटने में ही लगा रहता है .भगत सिंह  जिन्हें कम से कम हिंदुस्तान में किसी पहचान की आवश्यकता नहीं और जिनकी कद्रदान हिन्दुस्तानी अवाम  अंतिम सांसों तक रहेगी किन्तु पाकिस्तान की  सरकार शायद इस  शहादत  को नज़रंदाज़ करने में जुटी है और भुला  रही है इसकी महत्ता को जिसके कारण आज दोनों देशों की अवाम खुली हवा में साँस ले रही है .अभी 2 नवम्बर को मैंने डॉ शिखा कौशिक जी के ब्लॉग विचारों का चबूतरा पर जो प्रस्तुति इस  सम्बन्ध में देखी उससे मैं अन्दर तक भावविभोर हो गयी आप सभी के  अवलोकनार्थ उसे यहाँ प्रस्तुत कर रही  हूँ कृपया ध्यान दें और सरकार का ध्यान भी इस ओर दिलाएं ताकि सरकार पाकिस्तान सरकार से इस सम्बन्ध में सही कदम उठाने को कहे .

शालिनी कौशिक

तो प्रस्तुत है शिखा कौशिक जी की  प्रस्तुति :

नादानों मैं हूँ ‘ भगत सिंह ‘ दिल में रख लेना याद मेरी ,

शुक्रवार, 2 नवम्बर 2012

नादानों मैं हूँ ‘ भगत सिंह ‘ दिल में रख लेना याद मेरी ,

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[पाकिस्तान के लाहौर में हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात उद दावा और दूसरे कट्टरपंथी संगठनों के दबाव के आगे झुकते हुए लाहौर जिला प्रशासन ने अपने ही एक चौक शामदन चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी है । इससे शहीद के परिजन क्षुब्ध है।

गुरुवार को होशियारपुर के कचहरी चौक पर स्थित अपने निवास पर शहीद भगत सिंह की भतीजी भूपिंदर कौर व नाती एडवोकेट सुखविंदर जीत सिंह संघा ने कहा कि शहीद किसी भी जाति व धर्म से ऊंचा स्थान रखते हैं, ऐसे में लाहौर के शामदन चौक जिसे सिटी सेंटर चौक के नाम से भी जाना जाता है, का नाम स्वयं लाहौर के जिला प्रशासन ने ही 31 अगस्त को शहीद-ए-आजम भगत सिंह रख, वहां पर उनकी मूर्ति व उनकी लिखी कविता को पत्थर पर उकेर कर लगाने की बात कह पूरे संसार में एक सदभावना के तौर पर मिसाल कायम की थी। अब कट्टरपंथियों के आगे जिस तरह लाहौर जिला प्रशासन व वहां की सरकार अपने वायदे से मुकर रही है, उससे शहीद के परिजनों को ठेस पहुंची है।

लाहौर के सौंदर्यीकरण के लिए बनाए गए समिति दिलकश लाहौर के सदस्य एजाज अनवर ने कहा कि चौक का नाम बदलने का फैसला कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। भुपिंदर कौर व सुखविंदरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चयोग से बात कर इस मामले का हल करें।]

इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता  है .शहीद  -ए-आज़म  के नाम  पर  एक  चौराहे  के नाम रखने तक में पाकिस्तान  में आपत्ति  की जा  रही है .जिस युवक ने   देश की आज़ादी के खातिर प्राणों का उत्सर्ग करने तक में देर  नहीं की उसके  नाम पर एक चौराहे का नाम रखने तक में इतनी देर ….क्या  कहती  होगी  शहीद भगत  सिंह  की आत्मा ?यही  लिखने का प्रयास किया है –


आज़ादी  की खातिर हँसकर फाँसी को गले लगाया था ,

हिन्दुस्तानी  होने का बस अपना फ़र्ज़ निभाया था .


तब नहीं बँटा था मुल्क मेरा  भारत -पाकिस्तान में ,

थी दिल्ली की गलियां अपनी ; अपना लाहौर चौराहा था .


पंजाब-सिंध में फर्क कहाँ ?आज़ादी का था हमें जूनून ,

अंग्रेजी  अत्याचारों से कब पीछे कदम हटाया था ?


आज़ाद मुल्क हो हम सबका; क्या ढाका,दिल्ली,रावलपिंडी !

इस मुल्क के हिस्से होंगे तीन ,कब सोच के खून बहाया था !


नादानों मैं हूँ ‘ भगत सिंह ‘ दिल में रख लेना याद मेरी ,

‘रंग दे बसंती ‘ जिसने अपना चोला कहकर रंगवाया था .


बांटी तुमने नदियाँ -ज़मीन  ,मुझको हरगिज़ न देना बाँट  ,

कुछ शर्म  करो खुद पर बन्दों ! बस इतना  कहने आया  था !!!


जय  हिन्द !

शिखा  कौशिक  ‘नूतन ‘

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