! मेरी अभिव्यक्ति !
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नारी
जो कभी न हारी,
अस्तित्व बचाने हेतु
विपदा झेली भारी-भारी,
नारी
जो कभी न हारी.
लाज बचाने को अपनी
बनके काली वो ललकारी,
नारी
जो कभी न हारी
किसी ने कहा उसे अबला
तो किसी ने कह दिया बेचारी,
नारी
जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
फिर भी लड़ना रखा जारी
नारी जो कभी न हारी.
शालिनी कौशिक
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