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समझें हम .

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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googal से sabhar

भारत पाकिस्तान की जनता के लिए ये एक खुशखबरी से कम नहीं है कि दिसंबर -जनवरी में भारत पाकिस्तान 3 वन डे और २ टवेंटी -20 मैच खेलेंगें . २००७ के बाद भारत पाक की ये पहली क्रिकेट सीरीज कही जा सकती है .मुंबई हमले के बाद संबंधों पर ज़मी ये बर्फ अब पिघलने की ओर है और यही प्रार्थना है कि ये सम्बन्ध अब कभी दुश्मनी के धुंध लके में न रहें और पुराने समय में जो हिन्दू-मुस्लिम प्रेम की कहानियां हमारे बड़ों के द्वारा हमे सुनाई जाती रही आज फिर वे हमारी आँखों के समक्ष प्रत्यक्ष हो जाएँ . मेरी एक ग़ज़ल इसी सम्बन्ध में मेरे देशवासियों की भाव नाओं को कुछ यूँ उजागर करती है-

”मुख्तलिफ ख्यालात भले रखते हों मुल्क से बढ़कर न खुद को समझें हम,

बेहतरी हो जिसमे अवाम की अपनी ऐसे क़दमों को बेहतर समझें हम.

है ये चाहत तरक्की की राहें आप और हम मिलके पार करें ,

जो सुकूँ साथ मिलके चलने में इस हकीक़त को ज़रा समझें हम .

कभी हम एक साथ रहते थे ,रहते हैं आज जुदा थोड़े से ,

अपनी आपस की गलतफहमी को थोड़ी जज़्बाती भूल समझें हम .

देखकर आंगन में खड़ी दीवारें आयेंगें तोड़ने हमें दुश्मन ,

ऐसे दुश्मन की गहरी चालों को अपने हक में कभी न समझें हम .

न कभी अपने हैं न अपने कभी हो सकते ,

पडोसी मुल्कों की फितरत को खुलके समझें हम .

कहे ये ”शालिनी” मिल बैठ मसले सुलझा लें ,

अपने अपनों की मोहब्बत को अगर समझें हम .

शालिनी कौशिक [ कौशल ]

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