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संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य

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संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य

महात्मा गाँधी वध और बाबरी विध्वंस दो ऐसी घटनाएँ जिन्होंने संघ और भाजपा दोनों को भारतीय

अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम समाज के विरोधी के रूप में चिन्हित किया .महात्मा गाँधी का वध नाथूराम

गोडसे ने किया और उसे ये कहकर प्रचारित किया गया कि पीछे संघ का हाथ है जिसने पाकिस्तान की

स्थापना से क्षुब्ध हो नाथूराम गोडसे का महात्मा गाँधी की हत्या में इस्तेमाल किया .भला कोई समझदार इस

तथ्य पर विश्वास कर सकता है ?हिन्दुस्तान का भारत -पाक में बटवारा कराया अंग्रेजो ने फिर संघ जैसी

सेवाभावी संस्था इसका ठीकरा महात्मा गाँधी के सिर फोड़ उनकी हत्या जैसी जघन्य करतूत कैसे कर सकती

थी ?फिर बाबरी विध्वंस कॉंग्रेस के शासन काल में हुआ और भारत जहाँ एक सबल सशक्त केंद्र की स्थापना

की गयी है वहां भाजपा जैसी पार्टी जो एक उदार विपक्ष की भूमिका निभाने में ही अपना बड़प्पन ज़ाहिर

करती है .भला सरकार को अस्थिर करने जैसे राष्ट्रविरोधी कार्यों को भाजपा जैसी राष्ट्रवादी पार्टी द्वारा

कैसे अंजाम दिया जा सकता है ?एक और जहाँ देश के प्रधानमंत्री पद पर कथित विदेशी महिला की नियुक्ति

रोकने हेतु जहाँ भाजपा नेत्रियाँ सुषमा स्वराज और उमा भारती दोनों गंजी होने को तैय्यार हो जाती हैं वहीँ

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी उन्ही विदेशी महिला को अपने बेटे की शादी में आमंत्रित करने हेतु उनके

निवास स्थल पर पहुँच अपनी सद्भावना का परिचय देते हैं .

कभी देश की प्रधानमंत्री रही श्रीमती इंदिरा गाँधी जिन्हें हिन्दू होते हुए पारसी से विवाह करने पर पुरी मंदिर

में प्रवेश से रोक दिया जाता है उन्ही के पौत्र वरुण को न केवल ये पार्टी अपने सदस्य के रूप में स्थान देती

है बल्कि उसे हिन्दू के रूप में मान्यता देते हुए उसके विवाह के कर्मकांड एक हिन्दू के रूप में किये जाने को

भी मान्यता देती है .कहीं दिखेगी ऐसी धार्मिक सद्भावना ,जहाँ बाबरी विध्वंस के लिए सरकार तक की बलि

चढ़ाने वाले अपने जनप्रिय नेता कल्याण सिंह को पार्टी से निष्कासित कर भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवानी

जी जो पार्टी अध्यक्ष भी रहे हैं ६ दिसंबर १९९२ को अपने जीवन का” सबसे दुखद दिन ”मानते हैं .जहाँ

भारत पाक बंटवारे के मुख्य सूत्रधार मुहम्मद अली जिन्नाह को अडवाणी जी ”धर्मनिरपेक्ष ”बताते हुए

अपनी छवि तक से भी खेल जाते हैं जो हिन्दू कट्टरवादी की बनी है .जहाँ पार्टी के प्रधानमंत्री रहे अटल

बिहारी वाजपयी जी मुस्लिम रोजेदारों से पूरे अपनत्व से मिलते हैं वहां मुस्लिमों के प्रति दुर्भावना की बात

सोची भी कैसे जा सकती है .

सोचने की बात है कि आज तक मुस्लिम हितैषी होने का फायदा कॉंग्रेस उठाती आ रही है जबकि कभी

भाजपा के चाणक्य रहे के.एस.गोविन्द आचार्य ही कह रहे हैं कि वर्तमान में कॉंग्रेस और भाजपा की नीतियों

में ज्यादा अंतर नहीं है .ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव दोनों दलों को साथ मिलकर लड़ना चाहिए

उनकी इस बात के बाद भाजपा के मुस्लिम हितैषी होने पर कोई सवाल उठाया ही नहीं जा सकता .जब

कॉंग्रेस की नीतियां मुस्लिमों के लिए सद्भावना वाली हैं तो भाजपा की भी नीतियां गोविन्दाचार्य जी के

अनुसार मुस्लिम हितैषी ही जाएँगी..

फिर अंत में हम सभी देखते है कि मनुष्य बचपन में व् वृद्धावस्था में बिल्कुल निश्छल मासूम ,छल से दूर

होता है सीधा सच्चा होता है .कभी संघ प्रमुख रहे के.सी .सुदर्शन आज उसी स्थिति में हैं जब आदमी केवल

अपना सच जीता है .बनावटी मुखौटा उतर जाता है .ईद के अवसर पर जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त सुदर्शन जी

ने बधाई के लिए एशिया की सबसे बड़ी ताजुल मस्जिद जाने की जिद ठान ली और मुबारकबाद देकर

मुस्लिम भाइयों के साथ शीर [सीवाई] भी खाई .

ऐसे में संघ भाजपा के बारे में ये कहना कि ये मुस्लिम विरोधी हैं समझदार लोगों के लिए तो कोरी अफवाह

ही कही जाएगी अब कम अक्ल कुछ भी सोचें क्या किया जा सकता है क्यूं सही है न —-वासुदेव शर्मा जी भी

यही कहते है –

”शक की कैंची के फलके यदि अनजाने भी चल जाते हैं ,

सच कहता हूँ विश्वासों में चन्दन वन भी जल जाते हैं .”

शालिनी कौशिक [kaushal]

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