! मेरी अभिव्यक्ति !
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तू ही खल्लाक ,तू ही रज्ज़ाक,तू ही मोहसिन है हमारा.
रहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा.
एक आशियाँ बसाया हमने चैनो -अमन का ,
नाकाबिले-तकसीम यहाँ प्यार हमारा.
कुदरत के नज़ारे बसे हैं इसमें जा-ब-जा,
ये करता तज़्किरा है संसार हमारा.
मेहमान पर लुटाते हैं हम जान ये अपनी ,
है नूर बाज़ार-ए-जहाँ ये मुल्क हमारा.
आगोश में इसके ही समां जाये ”शालिनी”
इस पर ही फ़ना हो जाये जीवन ये हमारा.
कुछ शब्द अर्थ-
खल्लाक-पैदा करने वाला,रज्ज़ाक-रोज़ी देने वाला
मोहसिन-अहसान करने वाला,सब्ज़ाजार-हरा-भरा
महरे आलमताब -सूरज,नाकाबिले-तकसीम–अविभाज्य
तज़्किरा-चर्चा,बाज़ार-ए-जहाँ–दुनिया का बाज़ार
आगोश-गोद या बाँहों में,जा-ब-जा–जगह-जगह
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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